सनातन धर्म में परिक्रमा की महत्ता .

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परिक्रमा और प्रदक्षिणा में अंतर :

परिक्रमा या प्रदक्षिणा का अर्थ किसी धार्मिक महत्व के स्थान जैसे की मंदिर, पेड़, नदी या किसी देवता की मूर्ति के चारों ओर श्रद्धापूर्वक घूमना या चक्कर लगाना है. यह भारतीय धर्मों जैसे हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों में भी प्रचलित एक सामान्य आध्यात्मिक और पारंपरिक प्रथा है, जिसका उद्देश्य पापों से मुक्ति पाना और मन में एकाग्रता लाना है.

परिक्रमा का अर्थ :

परिक्रमा का अर्थ किसी पवित्र वस्तु या व्यक्ति के चारों ओर घूमना होता है, जिसमें भगवान के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त की जाती है. परिक्रमा हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में लगानी चाहिए. परिक्रमा करते समय निंदा, दुर्भावना, क्रोध और तनाव से बचना चाहिए. मन में ईश्वर का ध्यान करते हुए, शांतिपूर्ण परिक्रमा करनी चाहिए.

प्रदक्षिणा का अर्थ :

परिक्रमा को प्रदक्षिणा भी कहा जाता हैं, जिसका अर्थ है, ” दाईं ओर ” होना, यानी परिक्रमा करते समय देवता हमेशा दाहिनी ओर होने चाहिए.

मान्यता :

मान्यता है कि परिक्रमा करने से मन और वाणी से किए गए पापों का नाश होता है, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.

पौराणिक कथा :

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, यह प्रथा भगवान गणेश की बुद्धिमानी से शुरू हुई, जिन्होंने माता-पिता (शिव और पार्वती) के चारों ओर घूमकर उन्हें ही संपूर्ण सृष्टि बताया.

गणेश – कार्तिकेय की परिक्रमा कहानी.

एक बार भगवान शिव-पार्वती ने दोनों पुत्रों को तीनों लोकों की परिक्रमा

करने के लिए कहा गया और जो पहले परिक्रमा करेगा उसे श्रेष्ठ माना जाएगा. कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर तुरंत निकल पड़े. गणेश जी का वाहन चूहा धीमा था. उन्होंने सोचा कि वे कार्तिकेय से हार जाएंगे. इसलिए, उन्होंने एक बुद्धिमान उपाय चुना.

गणेश जी ने बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए अपने समक्षखड़े माता-पिता की परिक्रमा की. उन्होंने कहा कि उनके लिए उनके माता-पिता ही तीनों लोकों के समान हैं, और उनकी बात सुनकर शिव-पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुए और गणेश को “प्रथम पूज्य” घोषित किया.

इससे नाराज़ होकर वे क्रौंच पर्वत पर चले गए.

किसकी कितनी परिक्रमा करें :

(1) शिवलिंग :

शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा नहीं की जाती. शिवलिंग की अर्ध परिक्रमा की जाती हैं.

(2) भगवान विष्णू :

भगवान विष्णू की पांच प्रदक्षिणा की जाती हैं. जिससे अतृप्त इच्छा पूर्ण होती हैं.

(3) हनुमान जी :

भगवान हनुमान जी की तीन परिक्रमा की जाती हैं.

(4) दूर्गा (सभी देवी) :

देवी के लिए एक परिक्रमा की जाती हैं.

(5) सूर्यदेव :

सूर्यदेव की सात प्रदक्षिणा की जाती हैं.

(6) गणपती :

गणपती की तीन प्रदक्षिणा की जाती हैं ताकी उनकी कृपा दृस्टि रहे और कार्य सिद्ध होता हैं.

(7) पिंपल का पेड़ :

पिंप)ल के पेड़ को 108 परिक्रमा करने से शुभ फल मिलता हैं.

(8) श्रीराम अथवा श्रीराम दरबार :

चार परिक्रमा,।

(9) श्रीकृष्ण किंवा राधाकृष्ण :

चार परिक्रमा.

(10) शनिदेव : सात परिक्रमा.

(1) प्रदक्षिणा करने के नियम :

शस्त्रों कई देवी देवता ओके कितनी प्रदक्षिणा करनी चाहिए उसका उल्लेख नही हैं, ऐसे देवी देवता ओके लिए तीन प्रदक्षिणा कर सकते हैं. प्रदक्षिणा की सुरुवात की ती पूर्ण करनी चाहिए. और प्रदक्षिणा करते समय मन एकाग्र होना जरुरी हैं.

(2) प्रदक्षिणा करते समय कोनसा मंत्र जाप करें ?

प्रदक्षिणा करते समय जिस भगवान की प्रदक्षिणा कर रहे हो उसका ध्यान धरे.और निम्नलिखित मंत्र का जाप करें.

“यानि कानि च पापानि

जन्मांतर कृतानि च।

तानि सवार्णि नश्यन्तु

प्रदक्षिणे पदे-पदे।।

इस मंत्र का अर्थ हैं कि जीवन में जाने अनजाने हुई भूल, सभी पाप का नाश हो. ( समाप्त )

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