आजसे पचास साल पहले चंदन लेकडे की पुतली घर में होना आम बात थी. जिसका औषधिय उपयोग किया जाता था. शरीरमें सूजन, जोड़ों का दर्द, के लिए इसे पानी के साथ पत्थर पर घिसकार इसका लेप बनाकर दर्दवाली जगह पर लगाते थे. किसी संजीवनी से कम नहीं है लाल चंदन की लकड़ी, दूर हो जाती है भयंकर से भयंकर बीमारी.
इसे लोग अलग अलग नाम से जानते हैं, रक्तचंदन, हर्टवुड, लाल चंदन, माणिक की लकड़ी, अगरू, अनुकम और लाल चंदन. लाल चंदन के अंदर पॉलीफेनोलिक यौगिक, ग्लाइकोसाइड, तेल, फ्लेवोनोइड, टैनिन और फेनोलिक एसिड जैसे कई प्रकार के फाइटो केमिकल्स होते हैं. कुल मिलाकर लाल चंदन एक बेहद गुणकारी लकड़ी है जिसके उपयोग से कई तरह के स्किन इंफेक्शन से छुटकारा मिलता है.
रक्त चन्दन दक्षिण भारत के जंगलों में पाया जाने वाला एक पेड़ है जिसकी लकड़ी हिन्दुओं के द्वारा पवित्र मानी जाती है. सफ़ेद चन्दन के विपरीत इसमें कोई सुगन्ध नहीं होती लेकिन शैव तथा शाक्त परम्पराओं को मानने वाले लोग इसका उपयोग पूजा में करते हैं. यह कर्नाटक, तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश के क्षेत्रों में उगता है. शेषाचलम इसका मुख्य प्राप्तिस्थान है.
पानी से अधिक घनत्व की ये लकड़ी बहुत महंगी है. तने के बीच वाले भाग की लकड़ी का प्रयोग पाचन तंत्र शोधन, शरीर में तरल का संचय, रक्त शोधन जैसे उपचारों में होता है. भारत देश से इसका निर्यात चीन तथा जापान को होता है.
रक्त चंदन, जिसे लाल चंदन या टेरोकार्पस सैन्टालिनास भी कहा जाता है, आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में व्यापक रूप से उपयोग के लिए जाने वाली एक तीक्ष्ण औषधीय औषधीय जड़ी बूटी है. रक्त चंदन के शीतल और सूजन प्रतिरोधी गुणों को कम करते हैं, सनबर्न/चकत्तों को शांत करते हैं, और त्वचा को चमकदार बनाते है. रक्त चंदन अम्लता को कम करके, अल्सर को शांत करके और आंतों को स्वास्थ्य में सुधार करके पाचन में सहायता करता है, खाने के बाद छाछ या गर्म पानी में एक चुटकी पाउडर ले सकते हैं.
रक्त चंदन बुखार को कम करने और जोड़ों के दर्द/सुजन को कम करने में मदद मिलती है; बुखार के लिए सूजन वाले जोड़ों पर या दर्द के लिए इसे लेप रूमाल पर लगा सकता हैं.
रक्त चंदन की पहचान उसके गहरे लाल रंग के हृदय-काष्ठ, उसकी लकड़ी के पानी में डूबने के घनत्व, छाल के गहरे भूरे रंग और पत्तियों के तीन छोटे पत्रकों से होती है. यह सफेद चंदन से अलग है क्योंकि इसमें कोई सुगंध नहीं होती है.
रक्त चंदन की पहचान के तरीके :
रंग :
असली रक्त चंदन की लकड़ी का रंग गहरा लाल होता है, जो समय के साथ और गहरा होता जाता है.
सुगंध :
सफेद चंदन के विपरीत, रक्त चंदन में न के बराबर या बहुत कम खुशबू होती है.
घनत्व :
यह लकड़ी पानी से अधिक घनी होती है और पानी में डूब जाती है, जो इसकी असली पहचान है.
पेड़ की विशेषताएँ :
छाल : पेड़ की छाल गहरे भूरे रंग की होती है.
पत्तियाँ : पत्तियों में तीन छोटे पत्रक होते हैं.
पुष्प : इसके पीले पुष्प छोटे तने पर खिलते हैं.
उत्पत्ति स्थान : रक्त चंदन मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, और कर्नाटक के पूर्वी घाट के दक्षिणी भागों में पाया जाता है, खासकर शेषाचलम पहाड़ियों में.
उपयोग : इसका उपयोग महंगे फर्नीचर, सजावट के सामान और कॉस्मेटिक उत्पादों के निर्माण में किया जाता है.
सांप चंदन के पेड़ पर मुख्य रूप से इसलिए रहते हैं क्योंकि यह उन्हें सुरक्षा, ठंडा वातावरण और भोजन प्रदान करता है. चंदन के घने पत्ते और मजबूत शाखाएं उन्हें धूप, बारिश और शिकारियों से बचाती हैं, जबकि पेड़ की ठंडी सतह उनके शरीर का तापमान नियंत्रित करने में मदद करती है. इसके अतिरिक्त, चंदन के पेड़ों पर विभिन्न कीड़े-मकोड़े और छोटे पक्षी पाए जाते हैं, जो सांपों के लिए भोजन का काम करते हैं. चंदन के पेड़ की घनी पत्तियां और मोटी शाखाएं सांपों को मौसम की मार और अन्य शिकारियों से बचाती हैं, जिससे उनके लिए यह एक सुरक्षित ठिकाना बन जाता है.
ठंडा वातावरण : चंदन के पेड़ की ठंडी और नम सतह सांपों के लिए आदर्श होती है, क्योंकि ये अपनी शरीर का तापमान नियंत्रित करने के लिए बाहरी शीतलता पर निर्भर करते हैं.
भोजन स्रोत :
चंदन के पेड़ों के आसपास कीड़ों, पक्षियों और चूहों जैसे छोटे जीवों की मौजूदगी सांपों को आकर्षित करती है, जो उनके लिए भोजनका काम करते हैं.
अंधेरा और नमी : सांप अंधेरी और नम जगहों को पसंद करते हैं, जो उन्हें चंदन के पेड़ की जड़ों और तने के आसपास आसानी से मिल जाती हैं.
इन कारकों के कारण चंदन के पेड़ सांपों के लिए एक आदर्श और अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं, जिससे वे इन पेड़ों से जुड़े रहते हैं.
आज के समय में खराब खान पान और प्रदूषण का असर स्किन पर दिखने लगता है. जिसकी वजह से कई तरह की स्किन संबंधित समस्याएं होती हैं, जैसे सन बर्न, पिंपल्स, एक्ने, प्रीमेच्योर एजिंग, टेन्नड स्किन ऑयली स्किन आदि. इन सभी समस्याओं को ठीक करने के लिए लाल चंदन का उपयोग दही या नींबू के रस के साथ किया जाता है. आपको बता दें कि लाल चंदन के अंदर एंटी इंफ्लेमेटरी, एस्ट्रिजेंट और एंटी ऑक्सीडेटिव तत्व होते हैं, जो स्किन से जुड़ी समस्याओं का अंत करने में मदद करते हैं.
आप को पता हैं कि मधुमेह के रोगियों को अगर किसी तरह का घाव हो जाए या चोट लग जाए, तो उसे भरने में लंबा समय लग जाता है. कई बार तो वह हिस्सा काटने तक की नौबत आ जाती है. ऐसे में मधुमेह के रोगियों के घाव जल्दी से ठीक हो सके, इसके लिए लाल चंदन का उपयोग किया जाता है. आपको बता दें कि लाल चंदन में एंजियोजेनेसिस गतिविधि होती हैं. जो रक्त वाहिकाओं, त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण को तेज कर घाव को ठीक करती है.
बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण कई तरह की हृदय समस्याएं पैदा हो जाती है. ऐसे में गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल का संतुलित होना बेहद जरूरी है. इसके लिए लाल चंदन का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है. लाल चंदन के अंदर जेनेस्टिक, अल्फा, वैनेलिक एसिड, बीटा रीसोर्कलिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं.
आपने अक्सर मंदिरों में भी लाल चंदन का टीका लगाते हुए देखा होगा. लाल चंदन का अस्तित्व केवल धर्म से बल्कि विज्ञान से भी है. आपको बता दें कि लाल चंदन के अंदर ऐसे गुण होते हैं जो आपके पित्त को संतुलित करने का कार्य करते हैं. ऐसे में सिर दर्द होने पर लाल चंदन का लेप लगाना दर्द से छुटकारा दिलाता है. यह मन को शांत करता है जो कि सिर दर्द का मुख्य कारण है.
मौसम बदलने के दौरान या कुछ भी अधिक ठंडा खाने पीने की वजह से गले में खराश बलगम और खांसी की समस्या शुरू हो जाती है. ऐसे में लाल चंदन का उपयोग किया जा सकता है. वास्तव में लाल चंदन के एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आपको बलगम, गले की खराश और खांसी से राहत दिलाने में मदद करते हैं.
जो लोग डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं. उन्हें अक्सर खाने पीने से लेकर दवाइयों तक बहुत ध्यान रखना पड़ता है. साथ ही इस दौरान कई परहेज भी करने पड़ते है. ताकि शरीर में ग्लूकोज लेवल भी सही रहें और शुगर लेवल भी ना बढ़े. ऐसे में लाल चंदन का उपयोग किया जा सकता है. लाल चंदन के अंदर मौजूद पॉलीफेनोल्स शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कम करते हैं और इंसुलिन के निर्माण में भी सुधार करते हैं. यही नहीं लाल चंदन के अंदर जिंक के साथ साथ एंटी डायबिटीज प्रभाव भी होते हैं जो आपको डायबिटीज से बचाए रखने का कार्य भी करते हैं.
लिवर से जुड़ी समस्या से परेशान लोग भी लाल चंदन का उपयोग कर सकते हैं. आपको बता दें कि लाल चंदन के अंदर फ्लेवोनोइड्स, और फेनोलिक एसिड होता है. यह लिवर में फ्री रेडिकल्स की समस्या से मुक्त करते हैं. साथ ही लाल चंदन का उपयोग लिवर से जुड़ी कई बीमारियों में भी किया जा सकता है.
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𝗗𝗜𝗦𝗖𝗟𝗔𝗜𝗠𝗘𝗥 :
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