भगवान श्री कृष्णने समय को रोका था?

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हमें पता हैं कि भगवद गीता में कुल 700 श्लोक हैं, जो 18 अध्यायों में विभाजित हैं. इन श्लोकों में जीवन, धर्म, योग और मोक्ष के महत्वपूर्ण सिद्धांतों की व्याख्या की गई है. भगवद गीता के मुख्य वक्ता भगवान श्रीकृष्ण हैं, जिन्होंने 574 श्लोक कहे हैं. इसके अलावा, अर्जुन ने 84 श्लोक, संजय ने 41 श्लोक और धृतराष्ट्र ने केवल 1 श्लोक कहा है.

इतने सारे श्लोक बोलनेमे काफ़ी समय लगा होगा. ऐसे में कौरव और पांडव सेना खड़ी रही होंगी ? कुछ लोगोंका मानना हैं की श्री कृष्ण ने उस वक्त समय को रोक दिया था. तो कुछ विद्वानों का कहना हैं की प्रभु ने दिव्य ज्ञान और योग की शक्ति से अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश देते समय समय को अर्जुन और अपने लिए विस्तारित किया था, ताकि समय के एक छोटे से अंतराल में एक लंबा संदेश दिया जा सके. यह एक नियंत्रित समय फैलाव था, जिससे बाकी ब्रह्मांड के लिए समय सामान्य रूप से चलता रहा, लेकिन अर्जुन को गीता का पूरा ज्ञान प्राप्त हो गया.

यह एक ऐसी घटना थी जहाँ समय की थोड़ी सी अवधि अनंत रूप से फैल गई, जिससे अर्जुन और कृष्ण को बिना किसी बाधा के बात करने और ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिला. श्रीकृष्ण ने अपनी योगिक शक्ति का उपयोग करके समय को स्थिर किया और अर्जुन को वह गहन ज्ञान प्रदान किया, जो सामान्य समय में असंभव होता हैं.

इस पूरी घटना के दौरान संजय ने धृतराष्ट्र को कुरुक्षेत्र युद्ध के बारे में बताया. उनके पास दिव्य दृष्टि थी, जिससे वह युद्ध के हर पल को देख सकते थे, भले ही कृष्ण ने अर्जुन के साथ समय को स्थिर कर दिया था.

कृष्ण ने अर्जुन को भगवद् गीता का ज्ञान दिया ताकि वह अपने धर्म के प्रति अपने भ्रम को दूर कर सके. भगवद् गीता का संदेश यह घटना समय के पारंपरिक प्रवाह से परे दिव्य ज्ञान के आगमन को दर्शाती है, जहाँ कृष्ण ने अपनी ईश्वरीय शक्तियों का उपयोग करके अर्जुन के लिए समय विस्तारित किया ताकि वह धर्म को समझ सके.

भगवद गीता में कुल 700 श्लोक हैं, जो 18 अध्यायों में विभाजित हैं. इन श्लोकों में जीवन, धर्म, योग और मोक्ष के महत्वपूर्ण सिद्धांतों की व्याख्या की गई है. भगवद गीता के मुख्य वक्ता भगवान श्रीकृष्ण हैं, जिन्होंने 574 श्लोक कहे हैं. इसके अलावा, अर्जुन ने 84 श्लोक, संजय ने 41 श्लोक और धृतराष्ट्र ने केवल 1 श्लोक कहा है.

गीता के श्लोकों में जीवन के गहरे अर्थ और रहस्य छुपे हुए हैं. यह एक संवादात्मक ग्रंथ है, जिसमें प्रश्न और उत्तर के रूप में गहरी बातें कही गई हैं.

संपूर्ण महाभारत की बात करें तो

महाभारत में कुल श्लोकों की संख्या लगभग एक लाख (1,00,000) है, और इसे “शतसहस्त्री संहिता” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “सौ हजार के श्लोकों का संग्रह”. यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है और इसमें भगवद गीता भी शामिल है, जो महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है. *

महाभारत की लड़ाई कुरुक्षेत्र में हुई थी, जो वर्तमान में हरियाणा राज्य में स्थित है. इस पवित्र भूमि पर कौरवों और पांडवों के बीच 18 दिनों तक ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया था.

कुरुक्षेत्र को “धर्मक्षेत्र” और “भगवद् गीता की भूमि” के रूप में भी जाना जाता है, जहाँ भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. यह युद्ध

कुरुक्षेत्र के करीब 40 कि.मी. दायरे में लड़ा गया महाभारत युद्ध 18 दिनों तक चला था. इस युद्ध में स्वयं भगवान कृष्ण भी शामिल थे. लेकिन उन्होंने हथियार न उठाने का प्रण लिया था इसलिए वह अर्जुन के सारथी बने थे. आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 18 फ़रवरी 3102 ईसा पूर्व हुआ था.

महाभारत में संख्या 18 की महिमा :

*** महाभारत में कुल 18 पर्व हैं.

*** महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था, और युद्ध के बाद केवल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे.

*** महाभारत ग्रंथ कुल 18 पर्वों में विभाजित है.

*** भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को 18 दिनों तक गीता का ज्ञान दिया था.

*** महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था

*** कौरवों और पांडवों की सेना कुल 18 अक्षौहिणी थी.

*** युद्ध के बाद अंत में कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे.

*** हिंदू धर्म दर्शन के अनुसार, 18 का अंक ब्रह्म (1) और सृष्टि (2)

का प्रतीक है, जो मिलकर सृष्टि के सांघटनिक स्वरूप को दर्शाता है.

*** युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर पर 36 साल तक शासन किया, जो कि 18 का दोगुना है.

*** श्री कृष्ण ने 18 वर्ष की आयु में कंस का वध किया था.

*** जरासंध ने मथुरा पर 18 बार आक्रमण किया था, जो 18 वर्षों तक जारी रहा.

महाभारत युद्ध के बाद बचे योद्धा :

कौरवों की ओर से बचे योद्धा :

(1) अश्वत्थामा :

द्रोणाचार्य के पुत्र, जिन्हें श्रीकृष्ण ने श्राप दिया था कि वे पृथ्वी पर अनंत काल तक जीवित रहेंगे.

(2) कृपाचार्य :

कौरवों के कुलगुरु और अश्वत्थामा के मामा, जिन्हें देवताओं से चिरंजीवी होने का वरदान मिला था.

(3) कृतवर्मा :

कृतवर्मा हिंदू पौराणिक कथाओं में यदुवंश के एक योद्धा हैं. वे कौरवों की ओर से कुरुक्षेत्र युद्ध में लड़े थे. कृतवर्मा

हृदिका के पुत्र थे, जिनका जन्म यदुवंश के अंधक वंश में हुआ था.

पांडवो की ओर से बचे योद्धा :

(1) युयुत्सु,

(2] युधिष्ठिर,

(3) भीम,

(4) अर्जुन,

(5) नकुल,

(6) सहदेव,

(7) कृष्ण,

(8) सात्यकि,

(9) वृषकेतु, (शाल्यपुत्र).

पांडवों की ओर से बचे थे.

ये कुल मिलाकर 12 लोग थे.

कुछ स्रोतों के अनुसार, यह कुल संख्या 18 नहीं बल्कि 12 थी, जबकि कुछ अन्य स्रोतों में 18 संख्या का संबंध युद्ध के दिनों या श्रीमद्भागवत गीता के अध्यायों से बताया जाता है.

वैसे महाभारत में…..

(1) राजा बलि,

(2) महर्षि वेदव्यास,

(3) हनुमान,

(4) विभीषण,

(5) परशुराम, और

(6) ऋषि मार्कण्डेय ये आठ लोग आज

भी जीवित माने जाते हैं और इन्हें

चिरंजीवी कहा जाता है.

उपरोक्त 6 को मिलाकर जीवित रहने वालों की संख्या 18 होती हैं.

विशेष नोट : महाभारत युद्ध में जीवित बचे लोगों की संख्या विभिन्न स्रोतों में भिन्न हो सकती है, लेकिन ऊपर दिए गए नाम प्रमुख जीवित योद्धाओं के हैं.

( समाप्त )

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